आप ने मेरी कहानी "Changing time" तो पढ़ी हो गई। अगर आप ने नहीं पढ़ी हे तोह आप इस से पहले की पोस्ट पढ़े।
आज में आप को आगे की कहानी बताने जारहा हु। जैसा की आप ने पढ़ा उस ओरत ने शांतिबेन को अपने घर काम और रहे ने को कहा तोह शांतिबेन उनकी बात मान गई। उनके साथ चलदी। उस ओरत का घर बहुती बड़ा था शांतिबेन को उसने सर्वेंट कोटर दिया रहने को। शांतिबेन रोज सुबह जल्दी उठती और घर में जादू पोछा करने के बाद चाय नास्ता बनाती। शांतिबेन उस ओरत की बेटी जिसका नाम चाँदनी था उसका धयान रखती थी। समय बीतता जारहा था अब १० साल हो गए थे। रोहित और चांदनी १२ साल के हो गए थे। रोहित को पढ़ने लिखने का बहुत शोक था। जब टीचर चांदनी को पढ़ाने घर पर आती तोह रोहित चुप के से उनकी बात सुन कर पड़ता था।
एक दिन टीचर ने उसकी पढने की इच्छा को भाप लिया और दया कर के उसको एक किताब पड़ने को देदी। जब यह बात उस ओरत को पता चली की रोहित को पढ़ने का शौक है तो उसने उसका दाखिला चांदनी के स्कूल में करा दिया। अब चांदनी और रोहित रोज साथ साथ स्कूल पढ़ने जाने लगे। समय बीतता जारहा था और समय के साथ साथ शांतिबेन की भी उम्र हो रही थी। रोहित पढ़ लिखर बहुत बड़ा डॉक्टर बन गया था। उनो ने अब चांदनी का घर छोड़ कुद का बड़ा घर ले लिया था।
रोहित अब कैंसर का बहुती बड़ा डॉक्टर बन चूका था। उसने बहुत सारे सफर आपरेशन किये कैंसर के। डॉक्टर हो ने की वजे से वहा शांतिबेन को समय नहीं दे पारहा था। इस वजेसे उस के और शांतिबेन के दरमियान फासले आने लगे। तोह शांतिबेन ने रोहित की शादी करने का फैसला लिया। जब उनोने रोहित को इस फैसले के बारे में बताया तब रोहित ने शांतिबेन से कहा की वह किसी और से प्यार करता है जब उसने बताया की वह चांदनी से प्यार करता है और उसी से शादी करना चाहता है। शांतिबेन इस बात को सुन कर बहुती खुसती। वह अगले दिन चांदनी के घर अपने बेटे का रिश्त लेके गई। उनो ने चांदनी की माँ से बात की और चांदनी की माँ राजी हो गई शादी के लिए।
शादी बड़े धूम धाम से हो गई। शादी के दूसरे दिन रोहित को किसी काम की वजे से मुंबई जाना पड़ा। तोह वह उसही दिन निकल गया मुम्बई के लिए। वहा उसको एक ऑपेरशन करना था एक ७० साल की ओरत का और सफ्रल रहा। जब ऑपेरशन करकर रोहित बहार आया तब उसी समय उसकी माँ शांतिबेन का फ़ोन आया उनकी बाते सुन कर चोक गया क्यों की शांतिबेन उसे कह रही थी की "वह अपना और चांदनी का हमेशा ख़याल रखे " और फ़ोन काट दिया . उनकी बात सुर कर रोहित को थोड़ा आचर्य हुआ था की आज से पहले शांतिबेन ने उसे ऐसी बात नहीं की थी।
कुछ दिनों बाद रोहित वापिस अपने घर गया। वह अपनी माँ और पत्नी के लिए बहुत सारे तोफे लाया था। जब वह घर पंहुचा तोह उनसे देखा की बहुत सारे लोक उसके घर जमा थे उसने आचर्य अपने हॉस्पिटल स्टाफ से पूछा की वह क्यों उसके घर आये है। तब उसकी पत्नी चांदनी ने बताया की उसकी माँ शांतिबेन की मोत हो चुकी है।
रोहित जाने पहाड़ तूट पड़ा हो और शॉक के कारण कुछ नहीं बोल पारहा था। उसने अपनी लड़खड़ाती आवाज से अपनी पत्नी से पूछा की "यह सब कब और हुआ ?". चांदनी ने उसको बताया की "कल जब वह अपनी माँ से मिलकर आई तोह शांतिबेन अपने कमरे में सो रही थी। जब मेने उनको खाने के लिए उठाया तोह वह उठ नहीं रही थी मेने तुंरत तुमारे हॉपिटल फ़ोन किया और डॉक्टर को बुलाया डॉक्टर ने चेक कर के बताया की उनकी मोत हो चुकी है". तब जाकर रोहित को फ़ोन हुई शांतिबेन की बात समझ में आई।
रोहित ने घर के अंदर जाकर उसकी माँ के दर्शन किये और फूटफूट कर रोने लगा। रोहित अपने आपको सभाला और माँ की अंतिम विदाई की तैयारी की। उनकी विदाई करने के बाद वह घर गया। रोहित को अपनी माँ की बहुत याद आरही थी तोह वह शांतिबेन के कमरे जाकर रोने लगा उसको अपनी गलती का असास हुआ की वह अपने काम की वजसे अपनी माँ को वक्त नहीं दे पारहा था। वह अपनी माँ की चीजो को देख कर अपनी याद कर रहा था। तबी उसके हाथ में एक पत्र आया जो उसकी माँ ने अपनी रामायण की किताब में रखा था जो वोह रोज पढ़ती थी। यह पत्र उसकी माँ ने उसके लिए लिखा था। जब रोहित ने वह पत्र पढ़ा तोह उसकी पूरी दुनिया ही बदल गई।
ऐसा क्या लिखा था पत्र में और क्या राज था शांतिबेन की मोत का जाने के लिए आपको मेरा अगला भाग पढ़ना होगा।
So friends, I will come in soon with the third part and last part of this real story, so keep reading.....
To Be Continue....
आज में आप को आगे की कहानी बताने जारहा हु। जैसा की आप ने पढ़ा उस ओरत ने शांतिबेन को अपने घर काम और रहे ने को कहा तोह शांतिबेन उनकी बात मान गई। उनके साथ चलदी। उस ओरत का घर बहुती बड़ा था शांतिबेन को उसने सर्वेंट कोटर दिया रहने को। शांतिबेन रोज सुबह जल्दी उठती और घर में जादू पोछा करने के बाद चाय नास्ता बनाती। शांतिबेन उस ओरत की बेटी जिसका नाम चाँदनी था उसका धयान रखती थी। समय बीतता जारहा था अब १० साल हो गए थे। रोहित और चांदनी १२ साल के हो गए थे। रोहित को पढ़ने लिखने का बहुत शोक था। जब टीचर चांदनी को पढ़ाने घर पर आती तोह रोहित चुप के से उनकी बात सुन कर पड़ता था।
एक दिन टीचर ने उसकी पढने की इच्छा को भाप लिया और दया कर के उसको एक किताब पड़ने को देदी। जब यह बात उस ओरत को पता चली की रोहित को पढ़ने का शौक है तो उसने उसका दाखिला चांदनी के स्कूल में करा दिया। अब चांदनी और रोहित रोज साथ साथ स्कूल पढ़ने जाने लगे। समय बीतता जारहा था और समय के साथ साथ शांतिबेन की भी उम्र हो रही थी। रोहित पढ़ लिखर बहुत बड़ा डॉक्टर बन गया था। उनो ने अब चांदनी का घर छोड़ कुद का बड़ा घर ले लिया था।
रोहित अब कैंसर का बहुती बड़ा डॉक्टर बन चूका था। उसने बहुत सारे सफर आपरेशन किये कैंसर के। डॉक्टर हो ने की वजे से वहा शांतिबेन को समय नहीं दे पारहा था। इस वजेसे उस के और शांतिबेन के दरमियान फासले आने लगे। तोह शांतिबेन ने रोहित की शादी करने का फैसला लिया। जब उनोने रोहित को इस फैसले के बारे में बताया तब रोहित ने शांतिबेन से कहा की वह किसी और से प्यार करता है जब उसने बताया की वह चांदनी से प्यार करता है और उसी से शादी करना चाहता है। शांतिबेन इस बात को सुन कर बहुती खुसती। वह अगले दिन चांदनी के घर अपने बेटे का रिश्त लेके गई। उनो ने चांदनी की माँ से बात की और चांदनी की माँ राजी हो गई शादी के लिए।
शादी बड़े धूम धाम से हो गई। शादी के दूसरे दिन रोहित को किसी काम की वजे से मुंबई जाना पड़ा। तोह वह उसही दिन निकल गया मुम्बई के लिए। वहा उसको एक ऑपेरशन करना था एक ७० साल की ओरत का और सफ्रल रहा। जब ऑपेरशन करकर रोहित बहार आया तब उसी समय उसकी माँ शांतिबेन का फ़ोन आया उनकी बाते सुन कर चोक गया क्यों की शांतिबेन उसे कह रही थी की "वह अपना और चांदनी का हमेशा ख़याल रखे " और फ़ोन काट दिया . उनकी बात सुर कर रोहित को थोड़ा आचर्य हुआ था की आज से पहले शांतिबेन ने उसे ऐसी बात नहीं की थी।
कुछ दिनों बाद रोहित वापिस अपने घर गया। वह अपनी माँ और पत्नी के लिए बहुत सारे तोफे लाया था। जब वह घर पंहुचा तोह उनसे देखा की बहुत सारे लोक उसके घर जमा थे उसने आचर्य अपने हॉस्पिटल स्टाफ से पूछा की वह क्यों उसके घर आये है। तब उसकी पत्नी चांदनी ने बताया की उसकी माँ शांतिबेन की मोत हो चुकी है।
रोहित जाने पहाड़ तूट पड़ा हो और शॉक के कारण कुछ नहीं बोल पारहा था। उसने अपनी लड़खड़ाती आवाज से अपनी पत्नी से पूछा की "यह सब कब और हुआ ?". चांदनी ने उसको बताया की "कल जब वह अपनी माँ से मिलकर आई तोह शांतिबेन अपने कमरे में सो रही थी। जब मेने उनको खाने के लिए उठाया तोह वह उठ नहीं रही थी मेने तुंरत तुमारे हॉपिटल फ़ोन किया और डॉक्टर को बुलाया डॉक्टर ने चेक कर के बताया की उनकी मोत हो चुकी है". तब जाकर रोहित को फ़ोन हुई शांतिबेन की बात समझ में आई।
रोहित ने घर के अंदर जाकर उसकी माँ के दर्शन किये और फूटफूट कर रोने लगा। रोहित अपने आपको सभाला और माँ की अंतिम विदाई की तैयारी की। उनकी विदाई करने के बाद वह घर गया। रोहित को अपनी माँ की बहुत याद आरही थी तोह वह शांतिबेन के कमरे जाकर रोने लगा उसको अपनी गलती का असास हुआ की वह अपने काम की वजसे अपनी माँ को वक्त नहीं दे पारहा था। वह अपनी माँ की चीजो को देख कर अपनी याद कर रहा था। तबी उसके हाथ में एक पत्र आया जो उसकी माँ ने अपनी रामायण की किताब में रखा था जो वोह रोज पढ़ती थी। यह पत्र उसकी माँ ने उसके लिए लिखा था। जब रोहित ने वह पत्र पढ़ा तोह उसकी पूरी दुनिया ही बदल गई।
ऐसा क्या लिखा था पत्र में और क्या राज था शांतिबेन की मोत का जाने के लिए आपको मेरा अगला भाग पढ़ना होगा।
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