आज में आपकी जीवन के ऐसे खास रिश्ते के बारे में बात कर रहा हु जिसे हम दोस्ती कहते है। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो भगवान नहीं हम लोक तय करते है दोस्ती हमारी जीवन की वोह दोहलत है जो किसी चीज यह वस्तु खरीद ने किये काम नहीं आती पर लोको के दिलो पर राज करने के लिए काम आती है। इसी लिए किसे ने खूब कहाः हे
दोस्ती नहीं कोई धर्म देखती हे नहीं कोई उच्च - नीच दोस्ती सिर्फ दोस्त देखती है। इस बात के सब से बड़े उदाहरण खुद श्री कृष्णाजी और सुदामाजी है। एक द्धारका के राजा और एक गरीब ब्रामण। तोह भी श्री कृष्णा जी को पतह चलता है की उनके दोस्त सुदामाजी उनको मिलने आये है तब वह पागलो की तराह उनको मिलने के लिए भागते है.उन्हें देख कर कृष्णाजी उनके पद और सुदामाजी के कपड़ो की चिंता करे बिनाही उनको गले लगा कर रोते है। "सच्चा दोस्त वही है जो सुखः में दोस्त के पीछे हो और दुःख में दोस्त के आगे हो"। दोस्त साथ हो तोह दुनिया का बड़ा से बड़ा युद्ध भी जीता जा सकता है।
इस लिए कहता हु दोस्तों ज़िंदगी में कितना भी पैसे कमालो पर सच्चा दोस्त सिर्फ किस्मतवालो को ही मिलता है पैसे के पीछे भागते भागते कही सच्चे दोस्त का हाथ नाह छूट जाय .......
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Bus kar pagle aub rulaega kya ? 😯😁😂😆🤓
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